SMA यानी स्पाइनल मस्क्युलर अट्राफी क्या है
न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर जिसका मजाक बनाने के चलते अदालत तक पहुंचा मामला
न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर की जटिल बीमारी स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी यानी एसएमए से जूझ रहे बच्चे को लेकर समय रैना ने जो मजाक बनाने की कोशिश की थी वह उन पर भारी पड़ रही है. क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने अदालत को बताया कि समय ने बच्चे की बीमारी और अवस्था का मजाक उड़ाया तो कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कंटेंट परेशान करने वाला है इसलिए समय रैना को इसमें पक्षकार बनाया जाए. जिस समस्या को लेकर यह मजाक बनाने की कोशिश की गई उसका ईलाज काफी महंगा है लेकिन आखिर यह है क्या आइये समझते हैं.
क्या है स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी में शरीर धीरे-धीरे कमजोर होता है. एसएमए एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है. बच्चे में यह डिसऑर्डर है. इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर के कई हिस्सों में मूवमेंट नहीं हो पाता है क्योंकि मांसपेशियों पर उनका कंट्रोल खत्म हो जाता है. यह जेनेटिक बीमारी है जो जीन में गड़बड़ी से अगली पीढ़ी तक पहुंचती है. स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी होने पर ग्रेन की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड डैमेज हो जाते हैं. ऐसे में ब्रेन मसल्स को कंट्रोल करने वाले मैसेज भेजना बंद करने लगता है. ऐसे में बच्चा मूवमेंट नहीं कर पाता और बाद में बच्चे का हिलना-डुलना तक बंद हो जाता है. अब तक इस बीमारी का कोई सटीक ट्रीटमेंट नहीं है, मौजूदा दवाएं सिर्फ इसका असर कम करने की कोशिश के लिए दी जाती हैं. वैसे पिछले दिनों यह दावा सामने आया है कि जोल्जनसमा इंजेक्शन से इसे ठीक किया जा सकता है.