Grandmaster बनाए जाने पर मीर को लेकर सवाल

फेडरेशन इंटरनेशन डे इचे याय कहें फिडे ने 1930 के दशक में ब्रिटिश चेस चैंपियनशिप जीतने वाले मीर सुलतान खान को ग्रैंडमास्टर मान लिया है और यहां तक किसी को आपत्ति भी नहीं थी क्योंकि मीर उस समय के एशिया के सबसे बड़े चेस प्लेयर माने जाते थे लेकिन सवाल इस बात पर उठ रहे हैं कि उन्हें पाकिस्तानी बताया गया है जबकि उनकी अधिकतर उपलब्धियां उस दौर की हैं जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन ही नहीं हुआ था. फथ्उे के अध्यक्ष आर्केडी ड्वार्कोविच ने इस आशय की घोषणा की तो सबसे पहले सवाल यही आया कि मीर को पाकिस्तानी बताए जाने के पीछे मंशा क्या है. दरअसल 1950 में ग्रैंडमास्टर टाइटल दिए जाने की शुरुआत हुई लेकिन यह सिर्फ जीवित लोगों को ही दिया जाता रहा है और सिर्फ इसी शर्त की वजह से कैपाब्लांका, अलेखिने और लास्कर जैसे लोगों तक को अब तक यह टाइटल नहीं दिया गया लेकिन अचानक इस नियम को तोडकर फिडे ने मीर को ग्रैंडमास्टर का खिताब दे डाला, माना यह जा रहा है कि यह बाकायदा कूटनीति के तहत लिया गया फैसला है क्योंकि मीर का पूरा करियर ही कुछ सालों का रहा और उनसे कई बड़े नाम या उपलब्धियों वालों को भी अब तक ग्रैंडमास्टर नहीं माना गया है.