Kidney पर भारी पड़ती हैं ज्यादा पेनकिलर दवाएं
किन लक्षणों से समझें कि मामला किडनी का हो सकता है
किडनी मानव शरीर के उन अंगों में से है जो अंग स्वयं को पुनः विकसित नहीं कर पाता. यानी की किडनी की कोशिकाएं( नेफ्रांस) में रिजनरेशन की क्षमता नहीं होती है. सेहतमंद व्यक्ति में भी 40 वर्ष की उम्र के बाद गुर्दे की कार्य क्षमता लगातार घटती जाती है और इसका लगभग एक फीसद प्रति वर्ष प्राकृतिक पतन शुरू हो जाता है. यदि किसी व्यक्ति को डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अधिक मोटापा, जेनेटिक या आटोइम्यून बीमारियां, किडनी या यूरेटर में पथरी, मूत्र संक्रमण, हृदय रोग, लिवर रोग, कैंसर इत्यादि जैसी कोई बीमारी हो तो यह दर तेज भी हो सकती है.
इसी तरह ज्यादा पेन किलर गोलियां लेने वालों की किडनी की सेहत भी तेजी से बिगड़ती देखी गई है. किडनी के मामले में सतर्कता बहतु अच्छी होती है क्योंकि यदि किडनी की समस्या के बारे में जल्द पता लग जाए तो तो किडनी की खराबी की दर को दवओं से धीमा किया जा सकता है. सही समय पर किडनी की समस्या पता चलने पर विशेषज्ञ डायलिसिस तक से बचाने में मदद कर सकते हैं. किडनी के रोगों के लक्षण में आमतौर पर बीमारी बढ़ जाने के बाद ही समस्याएं बढ़े हुए रुप में सामने आती हैं. किडनी की समस्या के संकेत में पेशाब ज्यादा या कम आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में लालपन होना या झाग आना, चेहरे पर या हाथ पैर पर सूजन आना, कम उम्र में ब्लड प्रेशर की समस्या होना आदि लक्षण प्रमुख होते हैं. ऐसे लक्षण होने पर हमें यदि किडनी रोग विशेषज्ञ की सलाह समय पर मिल जाए तो इलाज ज्यादा बेहतर हो सकते हैं.